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काला धन जमा करने के लिए स्विस बैंक ही क्यों ?

 

स्विट्जरलैंड में करीब 400 बैंक हैं जिनमें यूबीएस और क्रेडिस सुइस ग्रुप सबसे बड़े हैं और इन दोनों के पास सभी बैंकों की बैलेंस शीट का आधे से ज़्यादा बड़ा हिस्सा है और किन खातों को सबसे ज्यादा गोपनीयता मिलती है, इन्हें नंबर्ड एकाउंट कहते हैं। इस खाते से जुड़ी सारी बातें एकाउंट नंबर के आधार पर होती हैं। कोई नाम नहीं लिए जाते। जो लोग पकड़े नहीं जाना चाहते वो बैंक के क्रेडिट या डेबिट कार्ड या चेक सुविधा नहीं लेते। स्विट्जरलैंड में अगर बैंकर अपने ग्राहक से जुड़ी जानकारी किसी को देता है तो ये अपराध है। गोपनीयता के यही नियम स्विट्जरलैंड को काला धन रखने के लिए सुरक्षित ठिकाना बनाते हैं।

नई दिल्ली. जब भी कभी काले धन की चर्चा होती है तो स्विस बैंक या स्विट्जरलैंड के बैंकों का जिक्र भी जरूर होता है और जब स्विस बैंकों में भारतीयों के पैसे की बात होती है तो हमारी दिलचस्पी बढ़कर आसमान पर पहुंच जाती है। स्विस बैंकों में जमा भारतीयों का पैसा तीन साल से गिर रहा था लेकिन साल 2017 में कहानी पलट गई है। साल दर साल आधार पर तुलना करें तो पिछले साल स्विस बैंकों में भारतीयों का पैसा 50 फीसदी बढ़कर 1.01 अरब स्विस फ्रैंक करीब सात हजार करोड़ रुपए पर पहुंच गया है। ये आंकड़े स्विस नेशनल बैंक ने जारी किए हैं इसलिए शक की गुंजाइश ना के बराबर है। स्विट्जरलैंड के सेंट्रल बैंक ने जो आंकड़े सामने रखे हैं उनके मुताबिक स्विस बैंकों में सभी विदेशी ग्राहकों का पैसा साल 2017 में 3 फीसदी बढ़कर 1.46 लाख करोड़ स्विस फ्रैंक या करीब 100 लाख करोड़ रुपए हो गया। ये मोदी सरकार को टेंशन दे सकती है क्योंकि वो सत्ता में आने के बाद से ही काले धन पर निशाना लगाने का वादा करती रही है। इसके अलावा जो लोग स्विस बैंकों में पैसा रखने वालों के बारे में कोई भी जानकारी देते हैं, सरकार उन्हें भी फायदा पहुंचाने की बात कहती रही है।

स्विस बैंकों में भारतीय रकम- ब्लूमबर्ग के मुताबिक साल 2016 मोदी सरकार के लिए राहत लेकर आया था क्योंकि इस साल स्विस बैंकों में भारतीयों का पैसा 45 फीसदी घट गया था। साल 1987 से स्विट्जरलैंड ने इन आंकड़ों की जानकारी दे रहा है और भारत के मामले में 2016 की गिरावट सबसे बड़ी थी लेकिन हालिया आंकड़ों ने नई चिंता पैदा कर दी है। पहले सवाल का जवाब ये कि स्विट्जऱलैंड के बैंक अपने ग्राहकों और उनकी जमा राशि को लेकर गजब की गोपनीयता बरतते हैं जिस वजह से वो उनकी पहली पसंद हैं। जेम्स बॉन्ड या हॉलीवुड की दूसरी फिल्मों में स्विस बैंक या उसके कर्मचारी दिखते हैं तो एक खास गोपनीयता के साथ वो काले सूट और ब्रीफकेस में छिपी कंप्यूटर डिवाइस से सारा काम करते हैं। असल जिंदगी में स्विस बैंक नियमित बैंकों की तरह काम करते हों साथ ही उनके मामले में आने वाली गोपनीयता उन्हें खास बनाती है। स्विस बैंकों के लिए गोपनीयता के कड़े नियम कोई नई बात नहीं है और इन बैंकों ने पिछले तीन सौ साल से ये सीक्रेट छिपाए हुए हैं, साल 1713 में ग्रेट काउंसिल ऑफ जिनेवा ने नियम बनाए थे जिनके तहत बैंकों को अपने क्लाइंट के रजिस्टर या जानकारी रखने को कहा गया था।

स्विस बैंक और सीक्रेट– लेकिन इसी नियम में ये भी कहा गया कि ग्राहकों से जानकारी सिटी काउंसिल के अलावा दूसरे किसी के साथ साझा नहीं की जाएगी। स्विट्जरलैंड में अगर बैंकर अपने ग्राहक से जुड़ी जानकारी किसी को देता है तो ये अपराध है। गोपनीयता के यही नियम स्विट्जरलैंड को काला धन रखने के लिए सुरक्षित ठिकाना बनाते हैं। ज्यादा पुरानी बात नहीं जब पैसा सोना ज्वेलरी, पेंटिंग या दूसरा कोई कीमती सामान जमा कराने पर ये बैंक कोई सवाल नहीं करते थे। हालांकि आतंकवाद भ्रष्टाचार और टैक्स चोरी के बढ़ते मामलों की वजह से स्विट्जऱलैंड अब उन खातों के आग्रह ठुकराने लगा है जिनकी जड़े गैर- कानूनी होने का संदेह है। इसके अलावा वो भारत या दूसरे देशों के जानकारी साझा करने के आग्रहों पर भी गौर करने लगा है जो इस बात के सबूत मुहैया कराते हैं कि फलां व्यक्ति ने जो पैसा जमा कराया है वो गैर कानूनी है।

कैसे जमा होता है पैसा- अब दूसरा सवाल कि काला धन स्विस बैंकों में पहुंचता कैसे है। इसके लिए ये जानना जरूरी है कि स्विस बैंकों में खाता कैसे खोला जाता है।18 साल से ज़्यादा उम्र का कोई भी व्यक्ति स्विस बैंक में खाता खोल सकता है। हालांकि अगर बैंक को ये शक होता है कि पैसा जमा कराने वाला व्यक्ति किसी खास सियासी मकसद से ऐसा कर रहा है या जमा कराया जा रहा पैसा गैर-कानूनी है तो वो आवेदन खारिज कर सकता है। स्विट्जरलैंड में करीब 400 बैंक हैं जिनमें यूबीएस और क्रेडिस सुइस ग्रुप सबसे बड़े हैं और इन दोनों के पास सभी बैंकों की बैलेंस शीट का आधे से ज़्यादा बड़ा हिस्सा है और किन खातों को सबसे ज्यादा गोपनीयता मिलती है, इन्हें नंबर्ड एकाउंट कहते हैं। इस खाते से जुड़ी सारी बातें एकाउंट नंबर के आधार पर होती हैं। कोई नाम नहीं लिए जाते।
बैंक में कुछ ही लोग होते हैं जो ये जानते हैं कि बैंक खाता किसका है लेकिन ये एकाउंट आसानी से नहीं मिलते। ऐसा कहा जाता है कि इसके अलावा इन बैंकों में अगर आपका खाता है और आप बंद करना चाहते हैं तो वो कभी भी किया जा सकता है, वो भी बिना किसी कॉस्ट के।

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