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बहुत महंगा पड़ता है ट्रैफिक पुलिस का चालान! मोटर इंश्योरेंस लेते समय इन बातों का रखें ध्यान

नई दिल्ली. इंश्योरेंस रेगुलेटरी और डेवलेपमेंट ऑथोरिटी (IRDAI) पिछले साल से कई नियम लागू कर चुकी है जिससे ज्यादा से ज्यादा लोग मोटर इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदें। सुप्रीम कोर्ट ने भी सभी नई बाइक, कार और स्कूटर के लिए मोटर इंश्योरेंस पॉलिसी को खरीदना आनिवार्य कर दिया है। लेकिन इसके बावजूद COCO की एक रिपोर्ट के मुताबिक हर 10 में से 7 लोग ट्रैफिक पुलिस से पकड़े जाने के बाद ही मोटर इंश्योरेंस लेते है। यहां तक की 40 फीसदी लोग तो पकड़े जाने के बाद भी कवर नहीं लेते। लोगों का ऐसा मानना है कि मोटर इंश्योरेंस से सस्ता फाइन देना पड़ता है। लेकिन एक्सपर्ट्स का मानना है कि फाइन, मोटर इंश्योरेंस के मुकाबले महंगा पड़ता है। इसलिए आप भी मोटर इंश्योरेंस लेते वक्त इन बातों का जरूर रखें ध्यान जिससे आपको मोटर इंश्योरेंस जेब पर बोझ ना लगे :

Motor insurance : थर्ड पार्टी इंश्योरेंस कवर आमतौर पर 2 तरह के इंश्योरेंस कवर होते हैं – कॉम्प्रिहेंसिव कार  इंश्योरेंस पॉलिसी और थर्ड पार्टी इंश्योरेंस। इंडियन रोड सेफ्टी एक्ट और इंडियन मोटर व्हिकल के मुताबिक थर्ड पार्टी इंश्योरेंस आनिवार्य है। थर्ड पार्टी इंश्योरेंस कोई भी प्रॉपर्टी डैमेज,  इंजरी या थर्ड पार्टी की मृत्यु को कवर करता है। थर्ड पार्टी दोनों में किसी भी गाड़ी का ड्राइवर, कार के पैसेंजर, दूसरी गाड़ी के पैसेंजर या राह चलता कोई व्यक्ति हो सकता है। कोकोबारोमीटर के हिसाब से भी लोग सबसे कम थर्ड पार्टी इंश्योरेंस लेना पसंद करते हैं।

Motor insurance :  नॉन-क्लेम बोनस ( NCB) – किसी व्यक्ति द्वारा अपने छोटे एक्सिडेंट को क्लेम ना करने पर उसे NCB मिलता है। हालांकि ये कंपनी पर निर्भर करता है लेकिन आमतौर पर 5 साल तक क्लेम ना करने पर 50 फीसदी तक NCB मिलता है।   हालांकि इन 5 सालों में अगर आप एक बार भी क्लेम करते हैं तो NCB की रकम फिर से जीरो हो जाएगी।

Motor insurance : इंश्योर्ड डिक्लेयर्ड वैल्यू (IDV) एक्सपर्ट्स का मानना है कि इंश्योर्ड डिक्लेयर्ड वैल्यू वाहन की उम्र पर भी निर्भर करती है इसलिए पॉलिसी लेते वक्त सब्सक्राइबर को हमेशा सही दाम बताना चाहिए जिस पर की वाहन खरीदा गया था। कितने साल वाहन इस्तेमाल हुआ  और 5 साल तक के एक्स शोरूम प्राइस पर डेप्रिसिएशन को ध्यान में रखकर IDV कैल्यूकुलेट होता है। 5 साल से पुराने व्हीकल की मार्केट वैल्यू को IDV  माना जाता है।

Motor insurance : एड-ऑन्स बेसिक कवर खरीदते वक्त कई पॉलिसी होल्डर अलग- अलग एड ऑन्स भी खरीदते हैं। इंजन प्रोटेक्टर, पर्सनल एक्सीडेंट कवर, जीरो डेप्रीसिएशन सबसे ज्यादा खरीदे जाते हैं जीरो डेप्रीसिएशन की मदद से पॉलिसी होल्डर लंबे समय के लिए महंगे प्रीमियम देने से बच जाता है। लेकिन रेगुलर मोटर कवर के साथ एड-ऑन्स लेते वक्त प्रीमियम महंगे भी हो जाते हैं।

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