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सवर्णों को मिला आरक्षण ! माता-पिता की आय से होगी गणना

टीना सुराणा. जयपुर. लोकसभा चुनाव से पहले मोदी सरकार ने आर्थिक रूप से कमजोर सर्वण जाति के लोगों को 10 प्रतिशत आरक्षण की घोषणा कर दी। सरकार द्वारा किए गए इस नए ऐलान का फायदा लगभग सभी देशवासियों को मिलेगा यानि जिन्हें जाति के आधार पर आरक्षण नहीं मिलता है उन्हें भी अब आरक्षण मिलेगा। जिनकी सालाना आय 8 लाख रुपए से कम है उन्हें ये आरक्षण मिलेगा। आईटी विभाग के डेटा और एनएसएसओ की रिपोर्ट में सामने आया है कि देश के 95 प्रतिशत परिवार इस लिमिट ८ लाख रुपए के दायरे में हैं और इन्हें आरक्षण का अधिकार होगा।

पहला क्राइटेरिया- उदाहरण के तौर पर अगर एक परिवार में माता-पिता और उनके दो बच्चे हैं तो बच्चों को आरक्षण का अधिकार तब होगा जब उनके माता-पिता की कुल सालाना आय आठ लाख रुपए से कम होगी। 2016-17 में 2.3 करोड़ से भी कम लोगों ने अपनी आय चार लाख रुपए से ज्यादा बताई है। इस लिहाज से करीब 95 फीसदी से भी ज्यादा की आबादी इस आरक्षण का लाभ लेने वाली कैटेगरी में आ जाएगी।

दूसरा क्राइटेरिया- 10 प्रतिशत आरक्षण पाने का एक और क्राइटेरिया जमीन भी है। सरकार की ओर से कहा गया है कि जिनके पास पांच एकड़ से कम जमीन है उन्हें आरक्षण मिलेगा। 2015-16 के एग्रीकल्चर सेंसस में सामने आया था कि देश में 86.2 प्रतिशत लोगों के पास पांच एकड़ से कम जमीन है।

तीसरा क्राइटेरिया-10 प्रतिशत आरक्षण में तीसरा क्राइटेरिया मकान का है। जिनका घर 1000 स्कवॉयर फीट से कम है उनके पास आरक्षण का अधिकार होगा। 2012 की एनएसएसओ की रिपोर्ट में कहा गया है कि देश की 20 प्रतिशत अमीर आबादी के पास भी जो घर हैं उनका औसतन एरिया 500 स्कवॉयर फीट है। ये सरकार द्वारा किए गए 1000 स्कवॉयर फीट के घर से आधा है। इसके हिसाब से करीब 90 प्रतिशत लोगों को आरक्षण का लाभ मिलेगा।

निजी क्षेत्र में कैसे दिया जाएगा आरक्षण- मोदी सरकार सामान्य वर्ग के गरीबों के लिए 10 फीसदी आरक्षण के दायरे में निजी शिक्षण संस्थान भी आएंगे। 8 जनवरी 2019 को केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री थावर चंद गहलोत ने लोकसभा में सामान्य वर्ग के गरीबों को आरक्षण देने वाला बिल 124वां संशोधन विधेयक पेश किया। इस बिल की कॉपी मीडिया में आ गई है। पब्लिक अटक गई है इस बिल के आखिरी पैराग्राफ पर इसी में जिक्र है कि शिक्षा के क्षेत्र में मिलने वाला आरक्षण उन शिक्षण संस्थाओं में भी लागू होगा जिन्हें सरकारी मदद नहीं मिलती है।

अभी प्राइवेट कॉलेज में कैसे मिलता है आरक्षण- एससी, एसटी और ओबीसी को मिला आरक्षण ऐसे कॉलेज पर पूरी तरह से लागू होता है जिसे या तो सरकार चलाती है या उसे सरकारी मदद मिलती है। इसके अलावा सरकारी विश्वविद्यालयों से संबद्ध प्राइवेट कॉलेज में भी आरक्षण मिलता है क्योंकि कॉलेज को विश्वविद्यालय के नियम मानने पड़ते हैं। प्राइवेट कॉलेज की इंजीनियरिंग और मेडिकल की सीटों में आरक्षण को लेकर ज्यादा विवाद रहता है। इसके लिए अलग-अलग राज्यों के अपने नियम हैं। इन्हें ऐसे समझें कि सरकार प्राइवेट कॉलेज की कुछ सीटों को अपने नियंत्रण में रखती है। इन सीटों में सरकार अपने नियमों के तहत आरक्षण देती है। इनके अलावा कुछ मैनेजमेंट कोटे की सीट होती हैं जिनपर आरक्षण लागू नहीं होता। कुछ राज्यों में मेडिकल-डेंटल कॉलेज में जाति के आधार पर मिलने वाला कोटा लागू नहीं होता जैसे उत्तर प्रदेश। ऐसे प्राइवेट कॉलेजों में कोई कोटा नहीं होता जो किसी तरह की सरकारी मदद नहीं लेते और न ही किसी सरकारी विश्वविद्यालय से संबद्धता लेते हैं। जिस तरह से खबर ब्रेक हुई उससे लगने लगा कि हर प्राइवेट कॉलेज में 10 फीसदी आरक्षण मिलने लगेगा लेकिन संविधान संशोधन बिल पर चर्चा करते हुए अरुण जेटली ने कहा कि निजी संस्थानों में आरक्षण लागू करने के लिए उसी शब्दावली का प्रयोग किया गया है। जिस शब्दावली में एससी-एसटी और ओबीसी को आरक्षण दिया गया है। इसका मतलब ये निकलता है कि सरकार के सामान्य वर्ग के गरीबों को 10 फीसदी सीटें देते वक्त सीटों का चुनाव वैसे ही करेगी जैसे आपने ऊपर पढ़ा।

क्या कहते हैं विशेषज्ञ
सर्वर्णों को आरक्षण में ऐसे सभी सामान्य जाति के लोग शामिल है जो आर्थिक रूप से कमजोर है। आरक्षण का लाभ उनको मिलेगा जिनके माता-पिता की आय ८ लाख से कम होगी यानि जो बच्चे भले ही आर्थिक रूप से मजबूत हो परंतु उनके माता-पिता की आय अगर सालाना 8 लाख से कम है तो उन्हें ये लाभ मिलेगा और वे इसका लाभ उठा सकेंगे।
रघुवीर पुनिया
सीए , जयपुर.

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